My Feeble Attempts at Fictions.
Wednesday, 30 November 2011

जीना इसी का नाम है... #Day30

कुछ ढूंढ रही थी मैं. एक पुरानी डायरी. कुछ पुराने फ़ोन नंबर चाहिए थे. कुछ पुराने दोस्तों की याद आई, कुछ पुराने किस्सों की...
कुछ पुरानी तसवीरें मिलीं और कुछ पुरानी बातें ज़ेहन में उठीं...
क्या दिन थे, जब जोश में दुनिया बदलने की बातें किया करते थे. लेक्चर हॉल में बैठ कर अपने महत्वकांक्षाएं साझी किया करते थे.  राजनीति बदलने की बातें, सरकार बदलने की बातें...
बातें तो कॉलेज में ही रह गयीं. कुछ दोस्त सिस्टम में शामिल हो गए, कुछ सिस्टम के ग़ुलाम.
आज सुबह अखबार देखा तो एक दोस्त की तस्वीर दिखाई पड़ी. गर्व महसूस हुआ जब खबर पढ़ी. दोस्त ने एक नवजात बच्ची को कचरे के ढेर से उठा कर गोद लेने का फैसला किया था.
बस, कॉलेज के आखिरी दिन, डायरी में उसके लिखे हुए शब्द याद हो आये..


एक शायद उसी ने अपने शब्दों को साकार किया था. जीना इसी का तो नाम है...


6 Wisecracks (Comment here):

Live2cherish said...

too good hainji!
love the song.

Anonymous said...

I am truly struck, all I can say that reading this brings upon one warm and lovely feelings...

and those anari lines said it all..

It has been great pleasure to read all of your post this month...

Be Blessed

Richa said...

@ Live2cherish, thanks ji :)

@ meethimirchi, thanks A lot :)

Pratibha said...

fitting end :)
Lovely handwritng in the diary ...

Punkster said...

I feel in love with the handwriting.

I loved this monthly special.
Full of colors, dark and bright.

Cheers to you bro. =)

Richa said...

Thanks Punky and Nimue :)